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लेखक और चित्रांकन – बिमल कॉर

प्रकाशक – कथा 

मानवता की यह कहानी, एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जिसकी ज़िन्दगी की जरूरतें काफी कम थींवह कुछ बुनियादी जरूरतों के साथ एक सीधी सादी जिन्दगी जीता था। वह एक एक विनम्र, कृतज्ञ, क्षमाशील इंसान था। दूसरी ओर, इस कहानी में एक दुनियादार आदमीभी है जो अपनी जिंदगी से असंतुष्ट था और जीवन में और अधिक चाहता था।

सत्यदास एक यात्री है जो एक बरसात की शाम को रघुनाथ की एक औसत सी दिखने वाली किराने की दुकान पर पहुंचता है। खराब मौसम में यात्रा करने में असमर्थ सत्यदास को मेजबान रघुनाथ गर्मजोशी से भोजन और आश्रय की पेशकश करता है। वह अगले दिन चला जाता है, लेकिन जाने से पहले वह  एक थैली छोड़ जाता है जिसमे  काफी कीमती सामान थे यह थैली संभवतः रघुनाथ की ईमानदारी की परीक्षा थी।

ब्लैक एंड वाइट, या यूँ कहूँ चारकोल से बनाई गई रेखाचित्र रघुनाथ के सादगी वाली जिंदगी को बखूबी से जीवंत बनाकर प्रस्तुत करते हैं। यह कहानी मूल रूप से बंगाली में बिमल कॉर ने लिखी है। कहानी की शुरुआत में, जब एक अनजान सा पात्र सत्यदास आता है, तब पाठक उसको लेकर थोडा असमंजस में आ जाते है और यह अनिश्चितता पाठक की रूचि को बढाती है। यह तय करना थोड़ा मुश्किल था कि बारिश से राहत चाहने वाला यह पात्र कौन है – एक अलग से भेस में कोई देवदूत, एक साधू, एक चोर या कि सिर्फ खानाबदोश। यहाँ पाठक को एक रहस्य घेर लेता है और इसकी पूरी सच्चाई जाने बगैर  पुस्तक को बंद करना  मुश्किल है। यहाँ से शुरू होता है सही और गलत का दवन्द, कि इसका सामना किया जाये या इससे बचा जाये। यह सवाल तो उठता ही है कि रोजमर्रा के काम में कोई व्यक्ति कितनी बार नैतिकता और मूल्यों से समझौता करता है? जिसे आमतौर पर हम अपनी सुविधा के अनुसार जायज ठहराते हैं या उनपर प्रश्न खड़े करते हैं। यह कहानी इस दौर में बहुत प्रासंगिक है, जब सही और गलत, सच और झूठ के बीच की रेखायें पहले से कहीं ज्यादा धुंधली हो गई हैं। कहानी भौतिक मूल्यों और समृद्धि के आगमन के साथ मानवीय मूल्यों के बाहर निकलने की संवेदनशीलता को दर्शाती है।

इस पुस्तक के पाठक इन प्रश्नों को पूछने और उनके बारे में सोचने के लिए सही दौर में हैं और एक कहानी से  बेहतर तरीका और क्या हो सकता है, जहां इन सवालों का सामना आपसे दूर का कोई पात्र कर रहा है। केवल साहित्य में ही इस तरह से सोचने की जगह मांगी और उपलब्ध कराई जा  सकती है।

पुस्तकालय को देखने का एक नया नजरिया

मेरे विद्यालय का पुस्तकालय एक छोटा सा कक्ष है जिसमे सारी पुस्तके दो आलमारियों में बंद करके रखी गयी थी।मैं एक पुस्तकालयाध्यक्ष हूँ। अगर पुस्तकालय ही छोटा हो तो अधिक नामांकन वाले विद्यालय में उसका संचालन…

शालिनी सेन Parag Reads 23 April 2020